कर्मवीर|Class 8|Bihar board Solution|chepter 3|karmvir



प्र
श्न 1. कर्मवीर की पहचान क्या है ?

उत्तर- कर्मवीर विषम परिस्थति में भी सहज बने रहते हैं। वे भाग्यवादी नहीं, कर्मवादी होते हैं। वे हर काम तत्क्षण करने का प्रयास करते हैं, किसी भी काम को कल पर छोड़ना उनकी आदत नहीं होती। वे अपनी दृढ़ता से विपरीत वातावरण को अनुकूल बना लेते हैं। उनका सिद्धान्त 'करो या मरो' होता है। जब कोई काम आरंभ करते हैं तो पूरा करने के बाद ही दम लेते हैं। कर्मवीर परमुखापेक्षी वा पराश्रयी नहीं होते। वे सदा अपने पराक्रम पर भरोसा करते हैं। उनका समय ऐसे कार्य में व्यतीत होता है, जिससे सबका कल्याण होता है। अतः कह सकते हैं कि कर्मवीर निर्भीक, देशप्रेमी, स्वावलंबी, आत्मविश्वासी, परोपकारी, सहज, सरल तथा स्वाभिमानी होते हैं ।


प्रश्न 2. अपने देश की उन्नति के लिए आप क्या-क्या कीजिएगा ?  

उत्तर- अपने देश की उन्नति के लिए हम कर्मवीर की भाँति पूर्ण मनोयोग से अपने दायित्व का निर्वाह करेंगे। सारे भेदभाव भूलकर पूर्ण निष्ठा से देश की सेवा करेंगे तथा अन्य लोगों को भी कर्मनिष्ठ बनने के लिए प्रेरित करेंगे। कोई भी देश वहाँ की समग्र जनता के सहयोग से ही फूलती-फलती है। जब हम सब भी मिलकर देश के चहुँमुखी विकास के लिए अपने आपको समर्पित कर देंगे तो देश की उन्नति होगी ही, लेकिन इसके लिए हमें कर्मनिष्ठ, समयनिष्ठ, ईमानदार, स्वाभिमानी, आत्मविश्वासी तथा देशप्रेमी होना होगा। जिसमें धैर्य एवं त्याग की भावना होती है, वही व्यक्ति सच्चे दिल से श्रम करता है । संकुचित विचार वाले तो स्वार्थी होते हैं । अतः देश की उन्नति के लिए हमें कर्मवीर होना होगा ।

प्रश्न 3. आप अपने को कर्मवीर कैसे साबित कर सकते हैं ?

उत्तर- हम अपने को कर्मवीर अपने कर्म या दृढ़ निश्चय से साबित कर सकते हैं। जैसे हम विद्यार्थी हैं। विद्याध्ययन मेरा कर्म है। यदि हम पूर्ण निष्ठा से अपनी पढ़ाई करते हैं तो निश्चय ही सफलता मेरा पाँव चूमेगी । चाहे हम गरीबी की मार से जर्जर क्यों न हों, हमारा दृढनिश्चय हमें आगे बढ़ने तथा पढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा कि तुम्हें आर्थिक कष्ट तभी तक है जब तक तुम्हारी पढ़ाई पूरी नहीं होती। पढ़ाई अर्थात् लक्ष्य की प्राप्ति होते ही सारे कष्ट, पीड़ा, दुःख या परेशानी आप ही आप दूर हो जाएगी। इस दृढ़ संकल्प के साथ हम अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे तो हमें भी कर्मवीर कहलाने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, अब्राह्मम लिंकन, महात्मा गाँधी आदि इसके ज्वलंत उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने कर्म से संसार को एक नई दिशा दी ।

पाठ से आगे 

प्रश्न 1. परिश्रमी के द्वारा मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है । कैसे ? 

उत्तर- परिश्रमी के द्वारा मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है । इसके लिए किसी भी व्यक्ति को तन-मन से उस कार्य के प्रति समर्पित होना आवश्यक होता है। जब कोई व्यक्ति पूर्ण उत्साह के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए परिश्रम करता है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता जाता है । यही आत्मविश्वास उसे कर्ममार्ग में आनेवाली बाधाओं से लड़ने तथा कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करता है। बाबा भीमराव अंबेदकर इसके ज्वलंत प्रमाण हैं, जिन्होंने अपनी कर्मनिष्ठा के बल पर महान पद पर आसीन हुए तथा 'बाबा' के नाम से आज पूज्य है।

प्रश्न 2. "कल करै सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होंइगा, करेगा कब ।" से संबंधित अर्थवाले पंक्तियों को लिखिए । 

उत्तर- आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही । 

सोचते-कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही ॥ 

मानते जी की हैं, सुनते हैं सदा सबकी कही । 

जो मदद करते हैं अपनी इस जगत् में आप ही ।। 

भूलकर वे दूसरों का मुँह कभी ताकते नहीं । 

कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं ॥ 

प्रश्न 3. आप किसे अपना आदर्श मानते हैं और क्यों ? 

उत्तर-मैं उस महापुरुष को अपना आदर्श मानता हूँ जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व अपनी मातृभूमि की बलिवेदी पर अर्पित कर दिया। वे आदर्श पुरुष हैं- राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी।

          हमारा देश भारत उन्हीं के प्रयास से अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त हुआ । देश की जनता ने से शांति को साँस ली । कराहती मानवता का उद्धार हुआ। उन्होंने देशवासियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया । दलित, पीड़ित तथा अछूत कहलाने वालों से गले मिलकर उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया । लेकिन स्वयं जीवनपर्यन्त अर्द्धवस्त्रों से तन को ढँके रखा। गाँधीजी ने अनासक्त भाव से देश की सेवा की । वे त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे । सत्य-अहिंसा उनके अस्त्र-शस्त्र थे । इनके जैसे महापुरुष किसी विशेष कार्य से इस धराधाम पर पैदा होते हैं । गाँधीजी भी इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मानव-शरीर धारण किए थे। ऐसे युगपुरुष मेरे आदर्श हैं। 

व्याकरण 

प्रश्न 1. दिए गए शब्दों से विपरीतार्थक शब्द-युग्म बनाइए, 

जैसे : अमीर-गरीब, दुःख, कठिन, भलाई, सुख, जनम, सरल, बुराई, सपूत, मरन, विरोधी, कपूत, समर्थक, असंभव, नभ, फूल, आरंभ, बुरा, वीर, संभव, तल, शूल, अंत, भला, कायर । 

उत्तर : शब्द विपरीतार्थक विपरीतार्थक सरल, आसान दुःख भलाई मरण समर्थक सपूत असंभव सुख बुराई कपूत. संभव शब्द कठिन जनम विरोधी नभ आरंभ वीर तल शूल अन्त बुरा भला कायर 

प्रश्न 2. सामान्य वाक्य - रेगिस्तान में जल ढूँढ़ना बहुत कठिन है । मुहावरेदार वाक्य-रेगिस्तान में जल ढूँढ़ना लोहे के चने चबाने की तरह है । 

उक्त उदाहरण की तरह निम्नलिखित सामान्य वाक्यों को भी मुहावरेदार वाक्यों में बदलिए: 

( क ) रमेश अपनी माँ का प्यारा लड़का है।

(ख) पुलिस को देखते ही चोर भाग गए। 

उत्तर - (क) रमेश अपनी की आँख का तारा है।

(ख) पुलिस को देखते माँ  ही चोर नौ दो ग्यारह हो गए ।










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