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प्रश्न 1. DNA प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर : (i) DNA प्रतिकृ ति बनने से विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। विभिन्नताओं से जैव-विकास होता है।
(ii) DNA प्रतिकृति बनने से कोशिका विभाजन होता है जो प्रजनन के लिए अनिवार्य है।
प्रश्न 2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है। क्यों ?
उत्तर : विभिन्नताएँ प्रायः जीवों की विपरीत पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सहायक होती हैं। पर्यावरण में होने वाले अचानक और खतरनाक परिवर्तन किसी पूरी आबादी को ही मिटा सकते हैं। परन्तु ऐसी परिस्थिति में भी वे जीव जिन्दा बच जाते हैं जो अपनी पीढ़ी के अन्य जीवों से कुछ भिन्न होते हैं। ये बचे हुए जीव प्रजनन द्वारा पुनः अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं और उनकी स्पीशीज या जाति बच जाती है। इस प्रकार विभिन्नताएँ स्पोशीज के कायम रहने और उनके अनुरक्षण के लिए लाभदायक होती हैं। जहाँ व्यष्टि या एक जीव का प्रश्न है, उसके लिए विभिन्नता आवश्यक नहीं है क्योंकि अकेला जीव तभी सफलतापूर्वक जीवित रह सकता है जब वह अपने परिवेश से पूर्णत: अनुकूलित हो। अकेले व्यष्टि के लिए अपनी पीढ़ी के अन्य जीवों से भिन्न होना लाभदायक नहीं भी हो सकता है।
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प्रश्न 1. द्विखंडन वहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर :
द्विखंडन
(i) इस विधि में एक कोशिका दो अनुजात कोशिकाओं में समान रूप से विभाजित होती है।
(ii) यह सामान्य परिस्थितियों में होता है ।
(iii) यह एक तल में होता है।
बहुखंडन
(i) इसमे एक कोशिका बहुत-सी कोशिकाओं में समान रूप से विभाजित होती है।
(ii) यह विषम परिस्थितियों के उपरान्त होता है।
(iii) यह विभिन्न तलों में होता है।
प्रश्न 2. बीजाणुजनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है ?
उत्तर : बीजाणुजनन एकल जीवों में बहुतायत से पायी जाने वाली अलैंगिक जनन की विधि है। इसके द्वारा एक साथ कई जीवाणु विकसित होते हैं जो बीजाणुधानी के फटने पर दूर-दूर तक उड़कर चले जाते हैं। वहाँ वे पुनः नये-नये जीवों को उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार इन जीवों की आबादी अचानक बढ़ती है तथा कुछ जीवाणुओं के नष्ट हो जाने पर भी स्पीशीज का अस्तित्व बना रहता है।
प्रश्न 3. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी सन्तति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर : पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा ही सम्भव है। जटिल संरचना वाले जीवों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं जो अलग-अलग कार्यों के लिए विशिष्ट होती हैं। इनकी कोशिकाओं में ऐसी क्षमताएँ नहीं पायी जाती हैं कि ये प्राकृतिक दशाओं में विभाजित होकर अलग-अलग अंगों की रचना कर सकें।
प्रश्न 4. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
(i) क्योंकि ऐसे पौधों में शरीर के वर्धि भागों के माध्यम से नये पौधे उत्पन्न करने को क्षमताएँ होती हैं।
(ii) कायिक प्रवर्धन द्वारा विकसित किये गये पौधों में फूल और फल शीघ्र आते हैं।
(iii) कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाये गये पौधों में सभी पैत्रिक क्षमताएँ पायी जाती
प्रश्न 5. डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है ?
उत्तर : डी०एन०ए० अणुओं में शरीर की डिजाइन, कार्यिकी आदि से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ होती हैं जिनके अनुसार शरीर की वृद्धि और उसका विकास होता है। DNA की प्रतिकृति बनने से नयी कोशिका में भी एक DNA चला जाता है तथा वह पूर्ण जीब के रूप में विकसित हो सकती है अथवा उसके विकास में योगदान दे सकती है। DNA के बिना कोशिका जीवित नहीं रह सकती।
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प्रश्न 1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर : परागण क्रिया में परागकण मादा जनन अंग स्त्रोकेशर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं परन्तु निषेचन क्रिया में दो नर युग्मक स्त्रीकेशर के अडाशय में उपस्थित मादा युग्मकों से पयुक्त होते हैं और युग्मनज (Zygote) बनाते हैं।
प्रश्न 2. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रन्थि की क्या भूमिकाएँ हैं?
उत्तर : शुक्राशय की भूमिका : शुक्राशय में शुक्राशय द्रव (seminal fluid) का स्त्राव होता है। यह शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता है एवं उनकी गति के लिए माध्यम की तरह कार्य करता है। प्रोस्टेट की भूमिका: यह पुर: स्थ द्रव (Prosuate fluid) का स्राव करती है। यह एक क्षारीय द्रव होता है। शुक्रद्रव एवं पुरःस्थ द्रव दोनों परस्पर मिलते हैं और इन्हीं द्रवों के साथ शुक्राणु बाहर आते हैं।
प्रश्न 3. यौवनारम्भ के समय लड़कियों में कौन-कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर : यौवनारम्भ के समय लड़कियों में निम्नांकित परिवर्तन होते हैं:-
(i) जनन हॉर्मोनों का बनना प्रारंभ हो जाता है एवं त्वचा प्राय: तैलीय हो जाती है।
(ii) स्तनों तथा नितम्बों का विकास होने लगता है।
(iii) जननांगों एवं पूरे शरीर पर रोम वृद्धि होती है परन्तु जननांगों के रोम गहरे रंग के हो जाते हैं।
(iv) रजोस्राव एवं ऋतुस्राव चक्र प्रारंभ हो जाते हैं।
प्रश्न 4. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है ?
उत्तर : गर्भस्थ भ्रूण को माँ के रक्त से पोषण प्राप्त होता है। भ्रूण नालरज्जु या प्लेसेन्टा के द्वारा माँ के गर्भ से जुड़ा रहता है। प्लेसेंटा का एक सिरा माँ के गर्भाशय में धँसा रहता है जिधर रक्त स्थान होते हैं जो प्लेसेन्टा के प्रवर्गों को आच्छादित रखते हैं। प्लेसेन्टा के प्रवर्ध रसांकुरों के रूप में व्यापक क्षेत्र प्रदान करते हैं। माँ के रक्त में उपस्थित ग्लूकोज, ऑक्सीजन तथा अन्य पोषण पदार्थ अवशोषित होकर प्लेसेन्टा से होते हुए रक्त के साथ भ्रूण में पहुँचते हैं।
प्रश्न 5. यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन संचारित रोगों से रक्षा करेगा ?
उत्तर : कॉपर-टी के प्रयोग द्वारा गर्भधारण को रोका जा सकता है। यह कोई रोग-निरोधी युक्ति नहीं है तथापि यह यौन संचारित रोगों से आंशिक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. अलैगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है ।
(a) अमीबा (b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम (d) लेस्मानिया यीस्ट |
उत्तर – (b)
प्रश्न 2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है ?
(a) अंडाशय (b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका (d) डिंबवाहिनी
उत्तर – (c) शुक्रवाहिका
प्रश्न 3. परागकोश में होते हैं :
(a) बाह्यदल (b) अंडाशय
(c) अंडप (d) परागकण
उत्तर – (d) परागकण । -
प्रश्न 4. अलैगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर – अलैगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के निम्नांकित लाभ हैं :-
(i) युग्मन द्वारा जायगोट का निर्माण होता है।
(ii) इससे जनन संतति में विविधता आती है ।
(iii) नये जीवों के लिए विकास में लैगिक जनन की मुख्य भूमिका है।
प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर- नर मानव में अण्डाकार आकृति वाला एक बाह्य अंग है, जिसमें एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर छोटे अण्डाकार मांसल संरचना होते हैं । यह वृषण कोश कहलाता है । वृषण में शुक्राणु तथा टेस्टोस्टेरॉन की उत्पत्ति होती है। शुक्राणु बनने के लिए वृषण कोश ताप को नियंत्रित करता है ।
प्रश्न 6. ऋतुस्राव क्यों होता है ?
उत्तर – यदि अण्डकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। क्योंकि अण्डाशय प्रत्येक माह एक अण्ड का मोचन करता है। अतः निषेचित अण्ड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रतिमाह तैयारी करता है । इसकी अंतःभित्ति मांसल एवं स्पंजी हो जाती है। यह अण्ड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है । परन्तु निषेचन न होने की अवस्था में इस परत की भी आवश्यकता नहीं रहती है । यह परत धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में एक मास का समय लगता है इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं। यह लगभग 2 से 6 दिनों तक की होती है।
प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर :
प्रश्न 8. गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी है ?
उत्तर – गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं:
(i) गर्भनिरोधन में कंडोम, मध्यपट और गर्भाशय ग्रीवा आच्छद का उपयोग किया जाता है। ये मैथुन के दौरान मादा जननांग में शुक्राणु प्रवेश को रोकता है।
(ii) स्त्रियाँ खाने की गोलियाँ तथा योनि में डालने की गोलियों का प्रयोग करती हैं । चूँकि गोलियाँ हॉर्मोन्स से बनी होती हैं जो अण्डाणु को डिम्बवाहिनी नलिका में उत्सर्जित होने से रोकती है।
(iii) शल्य विधि में पुरुष शुकवाहक तथा स्त्री की डिम्बवाहिनी नली के छोटे से भाग को शल्य क्रिया द्वारा काट अथवा बाँध दिया जाता है। इसे नर नसबन्दी तथा स्त्री में स्त्री नसबन्दी कहते हैं। 1
(iv) लूप अथवा कॉपर-टी को गर्भाशय में स्थापित करके भी गर्भ निरोध किया जाता । लेकिन इससे गर्भाशय के उत्तेजना से कुछ विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं।
प्रश्न 9. एक- कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति मे क्या अंतर है ?
उत्तर : एक-कोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में निम्न अंतर है :
एक-कोशिक जीवों की जनन पद्धति:-
(i) एक-कोशिक जीव केवल एक ही कोशिका होती है ।
(ii) इनमें जनन के लिए अलग से कोई अंग अथवा तंत्र नहीं होते हैं
(iii) इनमें जनन केवल द्विविखण्डन अथवा बहुविखण्डन द्वारा होता है। जैसे यीस्ट में मुकुलन द्वारा जनन होता है।
बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति:-
(i) बहुकोशिक में जीवों का निर्माण बहुत-सी कोशिकाओं से होता है।
(ii) इनमें जनन के लिए एक विशेष जनन तंत्र पाये जाते हैं ।
(iii) इनमें जनन लैंगिक तथा अलैगिक दोनों तरीकों से होता है ।
प्रश्न 10. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर – जीव की शारीरिक संरचना तथा डिजाइन के लिए जनन के दौरान D.N.A, प्रतिकृति का बनना अत्यन्त आवश्यक है। यह उसे विशिष्ट स्थान के योग्य बनाती है । इस कारण जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में सहायक है।
प्रश्न 11. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर- जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लोगों के चिन्ता का विषय है, क्योंकि जनन से ही जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करता है । जन्मदर तथा मृत्युदर से बढ़ाती अथवा घटती है। अतः बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण रखना होगा। इसलिए गर्भनिरोधक विधियों को अपनाना अनिवार्य हो गया है ।
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