Q. प्रगतिवाद क्या है? प्रगतिवाद कवियों की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:- प्रगतिवाद भौतिक जीवन से उदासीन आत्मनिर्भर, सूक्ष्म, अन्तर्मुखी प्रवृति के विरूद्ध प्रतिक्रिया के रूप मे, लोक विरूद्ध जगत की तार्किक प्रतिक्रिया है। प्रगतिवाद का प्रेरणा स्रोत कार्ल मार्क्स का द्वंद्वात्मक भौतिकवादी है। सामाजिक चेतना और भावबोध काव्य का लक्ष्य है। प्रगतिवाद काव्य मे समाजवादी विचारधारा का साम्यवादी स्वर महत्वपूर्ण रहा हैं।
प्रगतिवाद विशेष रूप से काॅर्ल मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित है। मार्क्सवादी विचारधार का समर्थक प्रगतिवादी साहित्यकार आर्थिक विषमता को ही वर्तमान दु:ख एवं अशांति का कारण स्वीकार करता है। आर्थिक विषमता के फलस्वरूप समाज दो वर्गो मे बंटा है- पूँजीपति वर्ग अथवा शोषक वर्ग और दूसरा शोषित वर्ग या सर्वहारा वर्ग। प्रगतिवाद अर्थ, अवसर और संसाधनों के समान वितरण द्वारा ही समाज की उन्नति मे विश्वास रखता हैं। सर्वहार या सामान्य जन की प्राण प्रतिष्ठा के साथ श्रम को गरिमा को प्रतिष्ठित करना और साहित्य मे प्रत्येक समाज के सुख-दुख का यर्थाथ चित्रण प्रस्तुत करना ही प्रगतिवाद का लक्ष्य है।
प्रगतिवादी चेतना के बीच छायावाद मे ही पल्लवित होने लगे थे किन्तु तीसरे और चौथे दशक मे प्रगतिशील आंदोलन ने काव्य को सामाजिकता की ओर उन्मुख किया।
प्रगतिवादी काव्य की मुख्य विशेषताएं:-
1. शोषकों के प्रति विद्रोह और शोषितों से सहानुभूति : प्रगतिवादी कवियों ने किसानों, मजदूरों पर किए जाने वाले पूँजीपतियों के अत्याचार के प्रति अपना विद्रोह व्यक्त किया है।
2. मानवतावादी दृष्टिकोण : प्रगतिवादी काव्य की एक विशेषता यह है कि प्रगतिवादी काव्य मे मानवतावादी दृष्टिकोण को अपनाया गया है। प्रगतिवादी काव्य मे मानवतावादी दृष्टिकोण देखने को मिलता है
3. आर्थिक व सामाजिक समानता पर बल : प्रगतिवादी कवियों ने आर्थिक एवं सामाजिक समानता पर बल देते हुए निम्न वर्ग और उच्च वर्ग के अंतर को समाप्त करने पर बल दिया।
4. नारी शोषण के विरुद्ध मुक्ति की आवाज़ : प्रगतिवादी कवियों ने नारी को उपभोग की वस्तु नही समझा वरन उसे सम्माजनक स्थान दिया है। नारी को शोषण से मुक्त कराने हेतु इन्होंने आवाज़ उठाई और प्रयास किए है।
5. पूँजीपतियों के प्रति विद्रोह : प्रगतिवादी काव्य मे पूँजीपतियों के प्रति विद्रोह देखने को मिलता है।
6. ईश्वर के प्रति अनास्था : इस काल के कवियों ने ईश्वर के प्रति अनास्था का भाव व्यक्त किया है। वे ईश्वरीय शक्ति की तुलना मे मानवीय शक्ति को अधिक महत्व देते है।
7. शोषितों के प्रति सहानुभूति : प्रगतिवाद काव्य मे शोषितों के प्रति सहानुभूति देखने को मिलती है।
8. सामाजिक यर्थाथ का चित्रण : प्रगतिवादी कवियों ने व्यक्तिगत सुख-दुःख के भावों की अपेक्षा समाज की गरीबी, भुखमरी, अकाल, बेरोजगारी आदि सामाजिक समस्याओं की अभिव्यक्ति पर बल दिया।
9. कला : प्रगतिवादी काव्य मे "कला को कला के लिए" न मानकर कला को जीवन के लिए' का सिद्धांत अपनाया गया है।
10. प्रतीकों का प्रयोग : अपनी भावनाओं की स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए इस काल के कवियों ने प्रतीकों का सहार लिया है।
प्रगतिवादी कवियों ने श्रम की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए भाग्यवाद को पूँजीवादी शोषण का हथियार बताया है।
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