बेरोजगारी पर निबंध || हिन्दी ||Joblessness Essay in hindi||berojgari par nibandh


 

बेरोजगारी पर निबंध || हिन्दी ||Joblessness Essay in hindi||berojgari par nibandh

बेरोजगारी

(i) अभिप्राय :- रोजगार करना मनुष्य के जिन्दगी का अहम पहलू है। लोग रोजगार के आय से अपनी आजीविका चलाते हैं। मनुष्य को रोजगार सिर्फ रुपए पैसे ही नहीं देता है बल्कि लोगों को प्रगति करने के कई मौके देता है। रोजगार के अवसर धन के साथ-साथ मान-सम्मान भी देता है। इसलिए रोजगार के बिना गुजारा करना लोगों के लिए नामुमकिन है।

बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें काम करने को समर्थ और इच्छुक व्यक्ति प्रचलित दर से कम पर भी काम करने को तैयार रहने के बावजूद काम का न मिलना। इस समस्या के कारण व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पाती है। भारत में बेरोजगारी निरंतर एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।

(ii) समस्या :- बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्ध करती है। बेरोजगारी की बढ़ती समस्या आम लोगों की प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है। बेरोजगार युवक आज गलत दिशा की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं।

बेरोजगारी केवल व्यक्तियों को ही प्रभावित नहीं करती बल्कि देश के विकास की दर को भी प्रभावित करती है। इसका देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भारत जैसी अल्प विकसित अर्थव्यवस्था में यह विस्फोटक रूप धारण किये हुए हैं।

(iii) कारण :- हमारे देश में बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है- जनसंख्या की अतिशय वृद्धि। हाल के दशकों में जनसंख्या जिस तीव्र गति से बढ़ी है, उस गति से रोजगार के साधन नहीं बढ़े। फलतः उस जनसंख्या के एक बड़े भाग को आज व्यापक बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। बेरोजगारी के अन्य कारण भी है। जैसे— उत्पादन में वैज्ञानिक उपकरणों का अधिकाधिक प्रयोग, तकनीकी शिक्षा का अभाव, अनावश्यक शिक्षा प्रणाली, कुटीर उद्योगों का ह्रास, कृषि का पिछड़ापन, अव्यवहारिक सरकारी नीति इत्यादि ।

(iv) समाधान :- बेरोजगारी की समस्या जटिल अवश्य है किन्तु इसका हल किया जा सकता है। इस गंभीर समस्या से निबटने के लिए सरकार को दीर्घकालिक नीति अपनाई जानी चाहिए। सरकार द्वारा रोजगार सृजन हेतु कई योजनाओं की शुरुआत की गई है लेकिन कुशल एवं अकुशल श्रमिकों हेतु पर्याप्त रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो सके। इसलिए दोषरहित आर्थिक नियोजन एवं आधारभूत ढाँचे का विकास आवश्यक है। कृषि और कुटीर उद्योगों की स्थिति में सुधार के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किये बिना कोई भी नीति बेरोजगारी को दूर करने में सफल नहीं हो सकती। इसलिए हम सभी को जनसंख्या विस्फोट की बढ़ती हुई बाढ़ को रोकने हेतु सेतु बनाना अति आवश्यक है। युवा वर्ग की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होनी चाहिए कि वह शिक्षा प्राप्त कर स्वावलंबी बनने का प्रयास करे। सरकार को चाहिए कि वह इसके समाधान हेतु एक व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाए और बेरोजगारी की समस्या को बढ़ने न दे।


Post a Comment

0 Comments